बंशबाद-जातिवाद-एकात्मबाद की ओर बढता मधेश ,
संघीयता और गणतन्त्र के नाम पर दलालतन्त्र के भुमरी मे मधेश ,
अग्रगामी संबिधान के नाम पर अधिकार बिहिन मधेश ,
स्वाधीनता के नाम पर राष्ट्रियता बिहिन मधेश,
पाखण्डीयों के पाखण्ड से परेशान मधेश,
पाखण्डबाद के लपेट और चपेट मे फसता मधेश ,
कम्यून-समाजबाद के नाम पर संस्कृती बिहिन होता मधेश,
जनबादी क्रान्ति के कु-नारा के कारण अस्तित्व-हिन होता मधेश !!
कोई अपना हि दिल तोड जाए तो हम क्या करें ?
कोई अपना हि बेगाना हो जाए तो हम क्या करें ?
कोई सपना देखा भुल जाए तो हम क्या करें ?
कोई बेवफा हो जाए तो हम क्या करें ?
कोई नासमझ हो जाए तो हम क्या करें ?
कोई अपने खुशी से नाखुश हो जाए तो हम क्या करें ?
कोई साथ चल्ते-चल्ते भटक जाए तो हम क्या करें ?
कोई स्वार्थ मे डुब जाए तो हम क्या करें ?
कोई दगा दे जाए तो हम क्या करें ?
कोई खुद को भुला दे तो हम क्या करें ?
कोई खुद का सब कुछ लूटा दे तो हम क्या करें ?
क्या करें क्या करें हम अब क्या करें ? ? ? ? ?
उजाले कि तलाश मे कबतक भटकता रहुँ में ?
दिया जलाने कि चाह मे कबतक मशाल जलाता रहुँ में ?
गुलामी कि जन्जिर से कबतक बधा रहुँ में ?
निरङ्कुशता कि पगडी को कबतक समहाले रखु में ?
दलालों के भिड मे सपूतों को कैसे तरासु में ?
चाप्लूशों कि मण्डी मे कैसे सुरक्षित रहुँ में ?
कमिशनखोरी के जाल से मातृभुमी को कैसे बचाऊ में ?
बैदेशिक प्रभु-सत्ता कि घमण्ड को कैसे जड से हटाऊ में ?
पथ-भ्रष्ट हुऐ मेरे अपने को कैसे मुक्ति पथ पर लाऊ में ?
बरसों से दिल मे जो सपने सन्जोऐ है स्वतन्त्रता का अब कैसे पुरा कर दिखाऊ मे ?
जय क्रान्ति ! जय जनता जय जनतन्त्र !!!
डा. मनोज मुक्ति “विवेक”
(डा. मनोज कुमार झा)
राष्ट्रिय अध्यक्ष एवं संयोजक
जनतान्त्रिक तराई मुक्ति मोर्चा
एवं
राष्ट्र बचाउ अभियान
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