हे नारी कत तकै छि, बचाव अपन स्वभिमान
अथाह शक्ति अछि, मुदा किया मन कमजोर
बडका काज करितो ,छोटोबातमे मन बिहोर
चन्चल मनके समैटक , छि चलैत डइटक
लाजक चुनरि ओढैत नाटक केलौ गजब
सहनशीलता बड देखेलौ, डर अछि विस्फोट करब
बिदा भेलौ कठोर मन स , छोडि माय बापके आँगन
असगर महसुस करैत देखलौ, लगेलौ दोसराइतमे मन
पथ पथमे अपने आगु , देखावटी आज्ञाकारी
बातसब अपने मनेलौ, व्यवहारिक आ संस्कारी
अपार शक्ति देखेलौ, नव जिवनके जन्म दैत
पथ पथमे माँ भगवती जँ आँहाके साथ छैथ
डुब्कि लिय अपना भित्र, पायब तेज सामर्थ्य
डगमगायल जिबनके बनाउ सचेत आ सार्थक
अपारबल स अपन बच्चा, शरिर बाहर आनलौ
ताहि समय अपन शक्ति अथाह मानलौ
धन्य अछि रचियता जे नारी तन बनेलैन
लालन , पालन ,स्नेह शक्ति भइरक पठेलैन
जागु जागु हे नारी शक्ति, अपन अस्तित्व बचाउ
जे उद्देश्य स बिधाता रचलैन ,तिनकर मान बढाउ।।
जय माता जानकी जी, जय मिथिला
ज्योति झा ?️?
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