रङ्ग, अविरके पावन होलि
भाँङ पिब,चलब डोलि डोलि
दलपुरी,पुवा बिशेष बनायब
सखी ,परोसीके बाँइट खुवायब
बर्षक एकबेर रङ सँ
अपन जिनगि रङ्गायब
रङ्ग, अविर सँ सुंदर तन सँग
अन्तः मन सेहो सजायब
रङ्ग, अविरके सौन्दर्य सँ
जीवन सजालिय
उर्जावान बइनक आउ
होलि मनालिय
राधा रंगल , कृष्ण के रङ्ग मे
सीता रमल पुरुषोत्तम राममे
पार्वती साक्षात अपन भंगिया शिवमे
हे प्रभु,हम्हु रंगल रहि अपन प्रियवरमे
लाल,पियर ,सबरङ्ग सदाबहार सेहन्तगर
निरन्तर सम्बन्ध बढैत रहे मिठगर
होलि पावन बड्ड सोहावन
रंगमे रंगल रहि ,बनि सदा सुहागन
उखरल ,बिछरल सम्बन्ध जुडैत अछि
पावत सुख जे इ भाव बुझैत अछि
भगवानक उपहार स्वर्णिम जीवन
आभाषरहत पायब सर्व सुख अपन
होलिके रङ्ग ,रङ्गेटा नै अछि
सिखारहल परिभाषा रङ्गके
सादा, अन्धकार जीवन उजाड नै बनाबि
सबरङ्ग मे मिलिक सामर्थ्य बढाबि
रङ्ग , अविरके पावन सब मिलि मनालिय
सुंदर रङ्ग सन अपन जीवन सजालिय
बैरभाव सब त्यागि गलामिलालिय
उर्जावान बइनक आउ होलि मनालिय
जय माता जानकी जी,जय मिथिला, जय मैथिली
ज्योति झा
तपाईको प्रतिक्रिया !