दोसर सखीसँग जँ प्रित लगेलौं
मैथिली सखी तानलैथ हात
जन्म जन्मान्तर के सखी छी हम
पुछ लागलि , किया छोडलौं हमर साथ
बहरिया परिवेश सँग जुडलौं
दोसराइतके सँगमे बडप्पन बुझलौं
मिथिला के कोना बिसरलौं
ई छैत अपन मिथिला के पहिचान
पल पल हिनकर बढाउ मान
मैथिली के पहिचान कर जँ एला
अपन मैथिली कोना छोडि बैसलौं
ज्ञात भेल अपन गलत पहिचान
आब हम करब , मैथिली के गुणगान
बालबच्चा जँ मैथिली सँ दुर रखलौं
अपन पहिचान पाइनमे डुबेलौं
कोनाक राखब मैथिली के मान
बचालिय आबो अपन पहिचान
जय मिथिला, जय मैथिली गेलौं
घरमे बाज बिसरि गेलौं
नाटक छोडि ,करु हृदय सँ सम्मान
मिथिला के मैथिली अछि पहिचान
रूसल छैथ मैथिली ,आब मना लिय
अप्पन भाषा सशक्त बनालिय
लाज धाक नै ,गर्व सँ करु बखान
मैथिली भाषा अछि महान
जय मिथिला,जय मैथिली,जय माता जानकी जी !
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