कतेक करु बखान
अपन मिथिला अछि महान
सदिखन छल ,रहबेकरत
अपने छलौं , अकान बकान
बिदेशिया के बडप्पन बुझलौं
अपनो भाषा सँ छलौं अनजान
लजाइत ,मुह झाँपैत किया रहलौं
जँ मिथिला अछि आँहाके प्राण
घर भितर बिदेशिया बनलौं
बाहरमे भाषण , मिथिला महान
जइर अपन अछि हिलगेल
पराइ के माथ दोष रोपागेल
बाहर कतबो झन्डा लहरायब
अन्तः मन सँ करेजमे सटायब
मिथिला , मैथिल सबदिन छैक महान
अपने छलौं अकान बकान
मुर्ति, मन्दिर, जगह उहे अछि
नजरिया बदैल रहल अछि
माँ त माँ रहबे करत
कतबो नाम परिवर्तन करत
बिसरल बाट घुरि अयलौं
अपन अंगना आब चिन्हलौं
मिथिला ,मैथिल सबदिन छैक महान
अपने छलौं अकान बकान
जय माता जानकी जी,जय मिथिला,जय मैथिली ?????
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