दहेज नै लेब नै देब कहिते कहिते
उमेर तिस पार भगेलै गे बहिना
बेटा बेटी कुमारे रहिगेल
सख रहिजायत जहिना तहिना
माय बाप दहेज पर छैथ अटकल
बेटा बेटी पढिलिख प्रगति पथमे परिकल
असन्तुलन बढिरहल सामाजिक व्यवस्थामे
जिम्मेवार अभिभावक निर्णय दुबिधामे
जिनकर धिया गुणी ,माय बाप सीना तनलैथ
धियाके टक्कर मे आब बेटाबालाके ललकारलैथ
नै जानि समाज कुन दिशामे पहुँचरहल
बिकास विकृति सब सँगहि चम्कल
दहेज नै देब धिया गुणी बनेलौं
एतबामे माय बाप सीमित पेलौं
अर्थके जुगमे भाव हरारहल नै बुझलौं
आब दहेज पर नै , जोरी सफल बनत कोना सोचु
अकडल मिजास कनिक वर कनियाके देखु
समता जँ दुनु बिच अछि
मुद्दा किछ जटिल आबिरहल
कमायल धन एक कात परिगेल
स्नेह सम्मान त हावामे उरियागेल
माता लक्ष्मी जेहन पैयर दबायब बिष्णुके किया
माता पिता जँ बनलैथ कमौवा धिया
एहन विचारसब पर व्यस्त समाज
गुणवान सँ बेसी अहंकारके राज
कमाओक आनब भानस भात करब
नै बिवाह करब ,नै जन्जालमे परब
मनन करु सब , अस्तव्यस्त परिवार समाज
दहेजेटा नै बहुत बात सँ भरहल परिवार बर्बाद
जय माता जानकी
लेखक : ज्योति झा
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